वाशिंगटन। दक्षिण चीन सागर को लेकर दादागिरी दिखा रहे चीन को अमेरिका ने फिर धमकाया है। ड्रैगन अपनी करतूतों से बाज नहीं आया तो उसके अधिकारियों और कारोबारियों को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही चीन पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका हजारों सैनिकों को ऑस्ट्रेलिया से लेकर जापान तक पूरे एशिया में तैनात करने जा रहा है।पूर्वी एशियाई एवं प्रशांत मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री डेविड स्टिलवेल ने संभावित प्रतिबंधों के बाबत एक सवाल के जवाब में चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि हमारी नजरों से कुछ भी ओझल नहीं है.. कुछ भी संभव है। वे वाशिंगटन के एक थिंक टैंक से मुखातिब थे।उन्होंने कहा कि अमेरिका के सख्त रुख का मतलब यह है कि इन समुद्री मुद्दों पर हम तटस्थ और मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। चीन द्वारा पड़ोसियों के इलाके को जबरन हड़पने, नए दावे ठोकना और सैन्य जमावड़ा बढ़ाना एक खतरनाक कदम है। इसका असर पूरे क्षेत्र पर तो पड़ेगा ही, चीन-अमेरिका रिश्ते को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा।
एक दिन पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने दक्षिण चीन सागर को लेकर ड्रैगन के दावे को अस्वीकार्य और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया था। अमेरिका ने पहली बार इतना सख्त रुख दिखाया था। दरअसल, यह बेहद महत्वपूर्ण जल मार्ग है, जहां से दुनिया का सालाना तीन ट्रिलियन डॉलर का कारोबार होता है। इस इलाके में चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ और आवाजाही की स्वतंत्र प्रदर्शित करने के लिए अमेरिका नियमित रूप से अपने युद्धपोत भेजता रहता है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने प्रतिबंधों की धमकी पर कहा कि यह इस क्षेत्र को अस्थिर करने और समस्याओं को बढ़ाने वाला ताजा कदम है। हम इसकी परवाह नहीं करते। चीन और अमेरिका के रिश्ते कई मुद्दों को लेकर दिनोंदिन तल्ख होते जा रहे हैं। खासकर, दुनियाभर में कोरोना वायरस के प्रसार और हांगकांग में चीन की दमनकारी नीतियों से अमेरिका काफी गुस्से में है और उसे सबक सिखाने के मूड में है।
उधर, अमेरिका अपने हजारों सैनिकों को जापान से लेकर ऑस्ट्रेलिया से तक पूरे एशिया में तैनात करने जा रहा है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इंडो-पैसफिक इलाके में शीत युद्ध के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण भूराजनैतिक चुनौती है। इस तैनाती के बाद अमेरिकी सेना वैश्विक दबदबे को फिर से कायम करेगी। उधर, ब्रिटेन भी अपने हजारों कमांडो स्वेज नहर के पास तैनात कर रहा है। अमेरिका जर्मनी में तैनात हजारों सैनिकों को एशिया में तैनात करने जा रहा है। ये सैनिक अमेरिका के अलास्का, हवाई, गुआम, जापान और ऑस्ट्रेलिया स्थिति सैन्य अड्डों पर तैनात किए जाएंगे। जापान के निक्केई एशियन रिव्यू की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की प्राथमिकता बदल गई है।