नई दिल्ली । केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों की भूमि के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नए कानून को लाने पर विचार कर रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद सूबे के लोगों की चिंताओं को दूर किया जा सके। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो इस बारे में विधेयक संसद सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के भूमि अधिकारों के लिए नए कानून लाने पर काम चल रहा है। इससे इनकी चिंताएं दूर हो जाएंगी।
अधिकारी ने बताया कि इस कानून के संसद में पास होने से जम्मू-कश्मीर में जमीन पर अधिकार खोने का वहां के लोगों का डर दूर हो जाएगा। चूंकि जम्मू-कश्मीर के दो भागों में बंटने के बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है जिसकी वजह से राज्य का अभी कोई विधानमंडल नहीं है इसलिए उक्त विधेयक संसद में लाया जाएगा। बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांट दिया था।इस बदलाव के चलते भूमि या अचल संपत्ति और नौकरियों पर स्थानीय लोगों के विशेषाधिकार खत्म हो गए थे। यही नहीं देश विरोधी तत्वों द्वारा जम्मू-कश्मीर के लोगों में बाहरी लोगों के आकर बसने का भय भी पैदा किया गया था। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के लिए नए अधिवास नियम पर अपने आदेश को घाटी में विरोध के मद्देनजर संशोधन के एक हफ्ते के भीतर ही पलट दिया था। संशोधित आदेश के मुताबिक, अधिवास प्रमाणपत्र रखने वाले निवासियों को ही वहां नौकरियों में भर्ती के लिए आवेदन की इजाजत होगी।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के पद से गिरीश चंद्र मुर्मू के इस्तीफे के बाद मनोज सिन्हा की इस पद पर नियुक्ति हुई है। मनोज सिन्हा एक अनुभवी नेता हैं जिनके पास मंत्री के रूप में ढेर सारा प्रशासनिक अनुभव है। प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में वह रेल राज्य मंत्री रहे और बाद में उन्हें संचार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी सौंपा गया था। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को अस्पतालों में नर्सों की कमी को देखते हुए दो सौ नर्सिंग स्टाफ की तत्काल नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं।